स्पेशल रिपोर्ट: मीडिया आज के समय में अपने आप को या तो मौन रख कर सत्ताधारियों का समर्थन करता है या फिर उनके अजेंडा को चला कर...!
मीडिया को अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा और निष्पक्ष हो कर लोगों को सच बताना होगा।
में नैगेटिव पत्रकारिता का समर्थन किसी भी तरह से नहीं करता पर लोगों को सच बताना और यह बताना की जिस सत्ता पर आप भरोसा कर रहे हो उनकी कथनी और करनी में बहुत फ़र्क़ है यह बहुत ज़रूरी हो गया है।
मीडिया चैनल्ज़ राजनीतिक पार्टियों के लिए एक मंच बन चुका है जहाँ से वो लोगों को जैसा चाहे वैसा बता और दिखा सकते है।
जब तक मीडिया और राजनीतिक पार्टियों में ऐसे सबंध बने रहेंगे तब तक वह आपको वही बताएंगे और दिखाएंगे जिससे उनका फ़ायदा है। मैं किसी एक पार्टी के ऊपर आरोप नहीं लगा रहा हूं..मैं बस बताना चाहता हूं कि अगर किसी मीडिया चैनल को किसी राजनीतिक पार्टी के लोगों से चैनल चलाने के लिए फ़ंड दिया जाएगा तो आप उस चैनल से क्या यह उम्मीद रख सकते है की वह चैनल आपको एक सच्ची और निष्पक्ष ख़बर ला कर दिखाएगा और क्या वो उसी पार्टी की ग़लत चीज़ों को उजागर करेगा-.... "नहीं वो आपको वही दिखाएगा जिससे उस पार्टी को फ़ायदा पहुँचे और उनके काले धंधो का आपको पता ना चले।
कुछ गोदी मीडिया तो एसी हो गयी है जिसके पास एक सरकार के प्रॉपगैंडा को चलाने के इलावा और कुछ बचा ही नहीं है।
जेसे की छी न्यूज़, कल तक, मोडियाँ टीवी....
यह कुछ एसे चैनल्ज़ है जिनके राजनीतिक पार्टियों से बहुत अच्छे सबंध है तो क्या आप ऐसे चैनल्ज़ से उम्मीद रख सकते है की वह आपको कोई पॉज़िटिव पत्रकारिता व नीडर हो कर और निष्पक्ष रह कर सरकार की ग़लत चीज़ों व गलत अजेंडा को लोगों के सामने रखेगी और उनके ख़िलाफ़ ख़बर चलाएगी।
पत्रकारिता में जिन लोगों ने इस देश में सबसे ज़्यादा योगदान दिया उनके साथ कुछ ना कुछ ग़लत करके उनका मुँह बंद कर दिया गया और हमारी सरकारें सिर्फ़ इतने सालों से पत्रकारों पर होते हुए हमले देखती आ रही है जो की इस देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है।
"पत्रकार को मारा जा सकता है लेकिन उसकी पत्रकारिता लोगों में हमेशा ज़िन्दा रहती है।"
"पत्रकार जब मरता है तो समाज की अच्छाइयाँ मरती है,समाज की समवेदना मरती है,समाज की इंसानियत मरती है,समाज की ईमानदारी मरती है"l
रजत मौर्या,हरियाणा
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