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कहानियां: इंसानियत कही बाकी है.....

दोपहर का वक्त था..मैं रोज़ की तरह अपने कॉलेज से बाहर लंच करने के लिए ढाबे की ओर रवाना हो ही रहा था कि तभी अचानक ज़ोर से आवाज़ आई। उस आवाज़ को सुनते ही मुझे ज्ञात हो गया था कि कुछ तो बहुत बुरा हुआ है। मैं अपनी मंजिल को छोड़कर तुरंत उस आवाज़ की ओर भागा, जब वहां पहुँचा तो देखा कि कोई व्यक्ति गंभीर अवस्था में सड़क पर गिरा हुआ था। उस व्यक्ति के सिर से बहुत रक्त बह रहा था। लेकिन जनता इर्द गिर्द इक्ट्ठा होकर उसे बचाने के बजाय उसकी वीडियो बनाकर शोशल मीडिया पर डाल रही थी। मुझे यह देखकर बड़ा अफ़सोस सा हो रहा था कि आखिर यह समाज को क्या होता जा रहा है। क्या अपना क्या बैगाना, अगर जीवन में कुछ है तो वह सिर्फ इंसानियत ही तो है। मैनें ठान लिया था कि कोई व्यक्ति मदद करे या न करे लेकिन मैं जरूर करूंगा। बस इसी इरादे के साथ मैनें उस घायल की ओर कदम बढ़ाया ही था कि अचानक मेरी उम्र का एक नौजवान लड़का आगे आया और उसने उस घायल व्यक्ति को अपनी गाड़ी में बैठाकर उसे अस्पताल पहुंचाया। यह देखकर मेरे मन को बहुत खुशी पहुंची की आखिर समाज में अभी भी इंसानियत कायम है। उस भारी भीड़ में घायल व्यक्ति के लिए ऐसा फरिशता भी मौजूद था, जो इन सभी लोगों से अलग था। यह सबकुछ देख मुझे अहसास हुआ की आखिर आज के वक्त में भी इंसानियत कही बाकी है, बस जरूरत है तो उसे मिलकर एक साथ निभाने की।

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