'द ट्रिब्यून' के पृष्ठ 8 पर छपे दिवेंद्र कुमार जी के लेख पर मेरा मानना यह है कि जब तक अपने काम को नहीं जानोगे, आप किसी भी तरह से समाज में नया बदलाव, नया पन नहीं ला सकते। आज के दौर में अधिकतर लोग अपने काम से बचने का प्रयास करते है, परंतु यह हमारे लिए बिलकुल सही नहीं है। क्योंकि जिस प्रकार से इस लेख में बताया गया है कि वह जिस प्रकार से अपनी सिविल सर्विस में काम के प्रति दिल चुरा रहा था, वहीं उसे एक बड़ा आदमी बना सकती थी और उसे वह सभी पॉवर हासिल हो सकती थी, जिसका वह हकदार था। मेरा बस यही मानना है कि किसी भी व्यक्ति को कभी भी अपने काम के प्रति कामचोरी नहीं करनी चाहिए।
दीपक शर्मा, चंडीगढ़
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